Class 9th up board chapter 1
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यूपी बोर्ड NCERT
कक्षा 9 कंप्यूटर विज्ञान
पाठ - 1
कंप्यूटर का परिचय एवं विकास
1.1 कंप्यूटर क्या है ? एक परिचय(What is Computer ?An Introduction)-:
मानव ने अपने कार्यों को सुगम बनाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक यंत्रों का आविष्कार किया हैं। उनमें से सभी यंत्रों में श्रेष्ठ है। विज्ञान का एक महान आविष्कार है । कंप्यूटर दिए गए निर्देशों के अनुसार तीव्र गति से गणना करने वाला यंत्र है । कंप्यूटर शब्द की उत्पत्ति अंग्रेजी भाषा के कंप्यूट शब्द से हुई जिसका अर्थ है गणना करना अर्थात गणना करने वाला । प्रारंभ में कंप्यूटर का प्रयोग केवल गणना करने के लिए किया जाता था परंतु कंप्यूटर तकनीकी के लगातार विकास से वर्तमान कंप्यूटर गणना के अतिरिक्त जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विभिन्न करने में सक्षम है । कंप्यूटर का आविष्कार चार्ल्स बैबेज ने 1822 ईस्वी में किया था । और इसे डिफरेंस इंजन नाम दिया। इन्हें कंप्यूटर का जनक कहा जाता है।
कंप्यूटर एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक यंत्र है जो अपनी मेमोरी में मौजूद विभिन्न प्रकार के निर्देशों की श्रृंखला के आधार पर करता है जिनका कंप्यूटर कर्म का पालन करता है प्रोग्राम कहलाते हैं। कंप्यूटर को दिए गए निर्देश व आंकड़े यदि सही है तो कंप्यूटर द्वारा प्राप्त परिणाम सत प्रतिशत सत्य होता है। कंप्यूटर का मुख्य कार्य दिए गए इनपुट आंकड़े को प्रोसेस करके उसमें आउटपुट सूचनाएं निकालना होता है। यानी कि कंप्यूटर से आउटपुट निकालने के लिए दिए गए आंकड़ों पर कई प्रकार की क्रियाएं जैसे की गणना अतुल लाएं एवं परिवर्तन आदि करनी पड़ती हैं जिन्हें प्रोसेसिंग कहा जाता है। प्रोसेस किए गए परिणाम को आउटपुट कहते हैं जिन्हें अपने स्मृति में सुरक्षित रखना और आवश्यकता अनुसार उसमें से उपयोगी जानकारी निकालना जीवन के प्रत्यक्ष क्षेत्र में कंप्यूटर की तीव्र गति से कार्य करने की क्षमता का भरपूर प्रयोग किया जा रहा है कंप्यूटर का प्रयोग शिक्षा विज्ञान चिकित्सा छपाई के कार्य तथा व्यापार आदि के तीव्र गति से कार्य किया जा रहा है अतिरिक्त वर्तमान कंप्यूटर का प्रयोग कार्टून फिल्म बनाने डिजाइन बनाने रेलवे आरक्षण यातायात नियंत्रण एवं बैंक खाते नियंत्रण में की जा रही है।
1.2 कंप्यूटर के विशिष्ट गुण(Specific Characteristics of Computer)-:
आजकल कंप्यूटर मानव समाज के लिए बहुत उपयोगी उपकरण हो गया है जिसका प्रयोग सभी क्षेत्रों में किया जा रहा है कंप्यूटर की अपनी मुख्य विशेषताएं हैं जो कि निम्नलिखित हैं।
1. गति(Speed)- कंप्यूटर अपने कार्य को अत्यधिक तेज गति से करता है कंप्यूटर को शिक्षण में गुणा भाग या जोड़ घटाने की लाखों क्रियाएं करने में सक्षम है कंप्यूटर अपनी अत्यधिक शक्तियों के कारण आज पूरे विश्व में फैला हुआ है कंप्यूटर जोड़ घटाना के अतिरिक्त और भी कई कार्यों को बहुत ही तेजी से करता है जैसे कि किसी भी वस्तु की जानकारी कहीं पर भेज दी हुई तो हमें कंप्यूटर के माध्यम से भेज सकते हैं।
2. परिश्रम(Diligence)- मनुष्य कार्य करते-करते थकान भूख प्यास आदि का अनुभव करने लगते हैं जबकि कंप्यूटर एक मशीन उपकरण होने के कारण उस पर वातावरण का कोई प्रभाव नहीं होता है जिससे वह किसी भी कार्य को बिना रुके निरंतर उसी गति से करता जाता है अतः कंप्यूटर प्राय हर स्थिति में कार्य करने में सक्षम होता है।
3. शुद्धता(Accuracy) - कंप्यूटर की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि वह प्रत्येक कार्य को शुद्ध रूप से दूसरे शब्दों में कंप्यूटर द्वारा किए जाने वाले कार्य की शुद्धता की दर बहुत अधिक होती है अतः इसके अरे में गलती नहीं होती है चाहे जानकारी हो या गणना हो कंप्यूटर पर द्वारा किया गया कार्य अति विश्वसनीय होता है।
4. विवेक गुण संपन्न(Versatility) - हम जानते हैं कि कंप्यूटर हजारों प्रकार के कार्य जैसे लिखना याद करना बोलना सुनना आदि सभी कार्यों को करने में सक्षम है । वस्तुतः यह सभी कार्य आधारित है। क्योंकि कंप्यूटर भी एक तार कीय मशीन है जो किसी कार्य को तथ्यों और तर्कों के आधार पर करता है जिसके लिए केवल एक बार प्रोग्रामिंग लिखना पड़ता है । इसी गुण के कारण कंप्यूटर की उपयोगिता लगातार बढ़ती जा रही है क्योंकि हमारे दैनिक जीवन में अधिकांश जटिल से जटिल कार्यों को भी कंप्यूटर सरलता से कर सकता है ।
5. विश्वसनीयता(Reliability) - कंप्यूटर से संबंधित सभी कार्य सत्य होता है यह कई वर्षों तक कार्य करता हुआ नहीं सकता यह कई वर्षों के बाद भी अपनी मेमोरी में रखा हुआ डाटा बिना किसी रूकावट के हमें प्रदान करता है।
6 संग्रह क्षमता(Storage Capacity) - किसी कंप्यूटर को दी गई सूचनाओं का भंडारण की क्षमता बहुत तीव्र होती है जिसे मेमोरी में छोटे-छोटे टुकड़ों में स्टोर करता है यह सभी प्रकार के डाटा चित्र प्रोग्राम गेम्स मूवी आदि को कई वर्षों तक संग्रह रख सकता है तथा आवश्यक उससे कुछ ही सेकंड में प्राप्त किया जा सकता है ।
7. याद करने की शक्ति(Power of Remembering)- एक आदमी अपने जीवन में बहुत सारी महत्वपूर्ण बातें करता है तथा वह केवल महत्वपूर्ण बातों को ही ध्यान में रखता है लेकिन कंप्यूटर हर स्थिति में सारी बातें चाहे वह महत्वपूर्ण हो या ना हो सब को संग्रहित करके रखता है तथा बाद में कभी भी किसी भी सूचनाओं की आवश्यकता पड़ने पर उपलब्ध कराता है तथा यह सूचना बहुत वर्षों के बाद भी उतनी ही शुद्ध रहती है जितनी की पहली थी.।
8. स्वचालन(Automatic) - कंप्यूटर अपने कार्य लगभग स्वचालित रूप से ही करता है इसका अर्थ यह है कि कंप्यूटर से कार्य करने के लिए हमें कुछ निर्देश देने की आवश्यकता होती है आगे की क्रिया का चालन निर्धारण व स्वयं करता है ।
(1) भावना रहित(No Feeling)- कंप्यूटर एक मशीन है इसमें कोई भावना नहीं होती है इसलिए यह बिना सोचे समझे निर्देशों के अनुसार कार्य करता है ।
(2) आत्मरक्षा की कमी (Lack of Self Protection)- अत्यधिक शक्तिशाली होने के बावजूद भी स्वयं प्रकार की आत्मरक्षा नहीं कर सकता है इससे केवल वैद्य कार्ड तथा पासवर्ड की आवश्यकता होती है ।
(3) बुद्धिमान का अभाव(Lack of Intelligence) - मैं स्वयं का दिमाग नहीं होता है वह स्वयं निर्णय नहीं ले सकता है यह केवल मानव द्वारा दिए गए निर्देशों के द्वारा कार्य करता है वैज्ञानिक कंप्यूटर में कृत्रिम बुद्धिमता के बारे में शोध कर रहे हैं सफलता मिलने पर कंप्यूटर में कुछ सीमा तक बुद्धिमत्ता आ सकती है ।
1.3 कंप्यूटर एवं मानव मस्तिष्क में अंतर(Different between Computer and Human Brain)-:
एक ऐसी मशीन है जो केवल मनुष्य द्वारा निर्देशित कार्य को ही करती है लेकिन फिर भी कंप्यूटर द्वारा मनुष्य की अपेक्षा अत्यधिक तीव्र गति से शुद्ध परिणाम प्राप्त होता है । मनुष्य और कंप्यूटर में मस्तिष्क के बहुत अंतर है ।
कंप्यूटर एवं मानव मस्तिष्क में अंतर निम्नलिखित रुप से है
1. कंप्यूटर(Computer)
(1) यह आवश्यक नहीं है कि कंप्यूटर के सभी भाग एक ही स्थान पर हो ।
(2) कंप्यूटर की उर्जा का स्रोत विद्युत है ।
(3) कंप्यूटर पर वातावरण का अधिक प्रभाव नहीं पड़ता है ।
(4) कंप्यूटर का वजन कुछ ही ग्राम से लेकर टनो में होता है ।
(5) कंप्यूटर द्वारा सूचना व आंकड़ों को सुरक्षित किया जाता है तथा आवश्यकता पड़ने पर उसका कभी भी प्रयोग किया जा सकता है तथा हटाया भी जा सकता है ।
(6) कंप्यूटर कई घंटे तक लगातार बिना रुके निरंतर कार्य कर सकता है ।
(7) कंप्यूटर तीव्र गति से कार्य यह कंप्यूटर घंटों का कार्य कुछ सेकंड में कर डालता है।
2 . मानव मस्तिष्क(Human Brain)
(1)मनुष्य में मस्तिष्क के मुख्य भाग एक ही स्थान पर होते हैं ।
(2) मस्तिष्क की ऊर्जा का स्रोत ब्लड ग्लूकोस है ।
(3) मनुष्य मस्तिष्क पर वातावरण का बहुत प्रभाव पर पड़ता है ।
(4) मनुष्य के मस्तिष्क का वजन लगभग 1.5 किलोग्राम होता है ।
(5) मनुष्य अपने मस्तिष्क में भी बात रख सकता है लेकिन यह आवश्यक नहीं है कि आवश्यकता पड़ने पर उसे प्रयोग में लाया जा सके तथा जब चाहे उसे हटाया जा सके यह मानव मस्तिष्क में संभव नहीं है ।
(6) घंटे कार्य करने के बाद थक जाता है ।
(7) मनुष्य के कार्य की गति धीमी होती है मानवीय मस्तिष्क की क्षमता कंप्यूटर से कम होती है ।
1.4 कंप्यूटर एवं कैलकुलेटर में अंतर(Difference between Computer and Calculator)-:
पहले कंप्यूटर का प्रयोग एक गणना करने वाली मशीन के रूप में होता था। आज भी कुछ लोगों का मानना है कि कंप्यूटर द्वारा केवल गणनायें हैं की जा सकती हैं लेकिन ऐसा नहीं है । आज कंप्यूटर विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न कार्यों के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध हो रहा है केलकुलेटर एक करना करने वाला यंत्र है ।
कंप्यूटर एवं कैलकुलेटर में निम्न अंतर है :
1. कंप्यूटर(Computer)
1. कंप्यूटर ना करने के अतिरिक्त पत्र डिजाइन बनाने कार्टून फिल्म बनाने हाथ के कार्य किए जा सकते हैं।
2. कबर्ड में उस ए टू जेड अक्षर एवं जीरो से 9 तक संख्या तथा अन्य विशेष चिन्हों वाला चीज होता है।
3. कंप्यूटर द्वारा अपनी सूचनाएं भविष्य के लिए सुरक्षित की जा सकती हैं।
4. कंप्यूटर में लोको प्रोग्राम के रूप में सुरक्षित रख सकते हैं।
5. कंप्यूटर द्वारा प्राप्त परिणामों को कागज पर भी प्रिंट किया जा सकता है ।
2. केलकुलेटर(Calculator)
1. इसका प्रयोग केवल गणना के लिए ही किया जाता है।
2. केलकुलेटर में केवल 0 से 9 तक की चीज होती है साथ में मैथमेटिकल केलकुलेटर में कुछ विशेष चिन्ह भी होते हैं।
3. कैलकुलेटर द्वारा अपनी सूचनाओं को भविष्य के लिए सुरक्षित नहीं किया जा सकता।
4. केलकुलेटर में निर्देशों को मैं सुरक्षित नहीं किया जा सकता।
5.केलकुलेटर द्वारा प्राप्त परिणाम कागज पर प्रिंट नहीं किया जा सकता ।
1.5 कंप्यूटर तथा टाइपराइटर में अंतर .(Difference between Computer and Typewriter)-:
1 कंप्यूटर(Computer)
1 कंप्यूटर में हम एक बार में 100 पन्नों की रिपोर्ट प्रिंट कर सकते हैं।
2. कंप्यूटर में दोबारा टाइप किए बिना जितनी बार चाहे उतनी बार छपवा सकते हैं।
3. कंप्यूटर में हम अपने आदेशों से रिपोर्ट कैसे भी सुधार करके फिर से छपवा सकते हैं ।
2.टाइपराइटर(Typewriter)
1. टाइपराइटर एक बार टाइप करके अधिक से अधिक एक पेज छपवा सकते हैं जिसकी चार या पांच कार्बन कॉपी या निकल सकती है।
2. टाइपराइटर में एक बार टाइप किए बिना जितना इतनी बार चाहे उतनी बार छपवा सकने की सुविधा उपलब्ध नहीं होती है।
3. कंप्यूटर में हम अपने आदेशों को रिपोर्ट में कैसे भी सुधार करके फिर से छपवा सकते हैं टाइपराइटर में यह नहीं हो सकता ।
1.6 कंप्यूटर सिस्टम(Computer System)-:
एक अथवा एक से अधिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कार्यत इकाइयों के समूह को एक प्रणाली यानी सिस्टम कहते हैं। उदाहरण स्कूल एक सिस्टम है, जिसके अंक हैंः अध्यापक, विद्यार्थी, शिक्षा के उपकरण पुस्तके भवन इत्यादि।
इसका लक्ष्य है विद्यार्थियों को उचित शिक्षा प्रदान करना। इसी प्रकार कंप्यूटर भी एक सिस्टम के रूप में कार्य करता है और इसके भी अंक या इकाइयां हैं
जो निम्न है
1. कंप्यूटर हार्डवेयर(Computer Hardware)-:
कंप्यूटर के वे इलेक्ट्रॉनिक और भौतिक भाग जिन्हें हम देखकर स्पर्श करके महसूस कर सकते हैं हार्डवेयर कहलाते हैं।
2. कंप्यूटर सॉफ्टवेयर(Computer Software)-:
सॉफ्टवेयर कंप्यूटर को निर्देश देते हैं कि किस प्रकार डाटा प्रोसेस किया जाए और जरूरी सूचनाओं को परिणाम के रूप में प्रस्तुत किया जाए।
3. कंप्यूटर उपयोगकर्ता(Computer User)-:
वे लोग जो कंप्यूटर पर डाटा तैयार करके प्रोग्राम लिखते हैं कंप्यूटर को चलाने तथा आउटपुट प्राप्त करते हैं उन्हें कंप्यूटर उपयोगकर्ता कहते हैं।
1.7कंप्यूटर काम कैसे करता है(How does Computer Work)-:
कंप्यूटर कोई भी कार्य स्वयं नहीं करता बल्कि हमारे निर्देशों पर किसी प्रोग्राम के अनुसार ही कार्य करता है । प्रत्येक प्रोग्राम को कोई कार्य करने के लिए इनपुट डाटा की जरूरत पड़ती है । हम इनपुट संदेशों जैसे कीबोर्ड माउस स्केनर आदि द्वारा अपना इनपुट डाटा तथा प्रोग्राम कंप्यूटर को देते हैं या प्रेषित करते हैं ।
कंप्यूटर की सी.पी.यू (Central Processing Unit) अथवा प्रोसेसर द्वारा हमारे दिए गए आदेशों अर्थात प्रोग्राम का पालन किया जाता है। यह प्रोग्राम इस तरह लिखा होता है कि उसका भली-भांति पालन करने से कोई काम पूरा हो जाता है प्रोग्राम का पालन पूरा हो जाने पर अथवा बीच में प्रोग्राम का परिणाम अर्थ अर्थात आउटपुट किसी भी आउटपुट संसाधन जैसे स्क्रीन या प्रिंटर पर भेज दिया जाता है जिन्हें हम देख या पढ़ सकते हैं आज हम प्रोग्राम का आउटपुट या दोनों को भविष्य में प्रयोग करने के लिए सूरत रखना चाहें तो उन्हें सूचना संचित करने के फ्लॉपी डिस्क से हार्दिक पर भेजकर सुरक्षित कर सकते हैं।
1.8 डाटा(Data)-:
किसी वस्तु के विषय में किसी तथ्य या जानकारी को डांटा कहते हैं। जिस दिन से हम लिखते हैं उसके विषय में कई जानकारियां खोज सकती हैं जैसे पेन का वजन उसका रंग उसकी लंबाई उसका मूल्य बनाने वाली कंपनी का नाम आदि इस प्रकार सभी विद्यार्थी के विषय में यह बातें जानी जा सकती हैं नाम रोल नंबर जन्मतिथि पिता का नाम कक्षा लिए गए विषय घर का पता आदि। यह सभी बातें डाटा के उदाहरण है ।
1.9 सूचना(Information)-:
हमारे पास कई तरह के डाटा के भंडार होते हैं परंतु वह सारा हमारे लिए सदैव उपयोगी नहीं होता है क्योंकि टाटा अलग-अलग बिखरे अव्यवस्थित तथ्य है, जिनमें कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता। उदाहरण किसी कक्षा में पढ़ने वाले लड़कों की अलग-अलग उम्र हमारे लिए डाटा है परंतु हमें उस कक्षा की औसत उम्र की जरूरत है। हमारे लिए उपयोगी है। उपयोगी डाटा को कंप्यूटर की भाषा में सूचना कहा जाता है हम डाटा इकट्ठा थी इसलिए करते हैं कि उस समय से सूचना निकाल सके। इसके लिए हमें डाटा पर कुछ क्रियाएं करनी पड़ती है जैसे विद्यार्थियों की अलग-अलग कमरों में से औसत उम्र पता करने के लिए पहले हम उन सभी की उम्र को जोड़ेंगे फिर सभी विद्यार्थियों को गिरेंगे और अंत में उम्रो के जोड़ में विद्यार्थियों की संख्या से भाग देंगे। इससे उनकी औसत उम्र निकल आएगी।
1.10 डाटा प्रोसेसिंग(Data Processing)-:
गिनना जोड़ना भाग देना आदि जो कार्य हमें करने पड़ते हैं सिंह कहते हैं। डाटा से सूचना निकालने हमें बहुत सी क्रियाएं करनी पड़ती हैं इन सब क्रियाओं को डाटा प्रोसेसिंग कहा जाता है डाटा प्रोसेसिंग हम कागज कलम लेकर हाथ से भी कर सकते हैं परंतु आजकल हम यह काम कंप्यूटर की सहायता से करते हैं लेकिन कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है इसलिए इस सारिक रिया को इलेक्ट्रॉनिक डाटा प्रोसेसिंग या संक्षेप में ई.डी.पी कहा जाता है
1.11 कंप्यूटर का विकास(Development of Computer)-:
कंप्यूटर का विकास अनेक चरणों एवं कई वर्षों में हुआ । आज काल में मनुष्य अपने जानवरों की गिनती करने के लिए पत्थरों का प्रयोग करते थे। इसके बाद मनुष्य ने अपनी उंगलियों के द्वारा गिनती करना सीखा लेकिन इस प्रकार से केवल साधारण जोड़ घटाना ही संभव था। धीरे-धीरे सभ्यता का विकास हुआ और गणना करने के लिए विविध प्रकार के यंत्रों का आविष्कार हुआ। का प्रयोग प्रारंभ में गणना करने वाली मशीन के रूप में होता था प्रारंभ में कंप्यूटर का विकास बहुत मंद गति से हुआ परंतु विगत 15 वर्षों में कंप्यूटर का विकास बहुत तीव्र गति से हो रहा है। कंप्यूटर के आज के इस क्रम में कई यंत्रों का विकास हुआ उनसे से कुछ का विवरण निम्नलिखित है .।
(1) अबाकस (Abacus)-:
सबसे पहले चीनी शिक्षाविदों ने 500 ईसवी मैं एक यंत्र की खोज खोज जिसका प्रयोग गिनती तथा गणना करने के लिए किया गया था । इसे अबाकस के नाम से जाना जाता है । अबाकस को प्रथम ऐतिहासिक कंप्यूटर भी कहा जाता है । अबाकस आज ही प्रचलन में है चीनी लोग आज भी अबाकस की सहायता से बहुत तीव्र गति से गणना करते हैं अबाकस एक लकड़ी के फ्रेम का बना होता है । यह मुख्यतः दो भागों में विभाजित होता है ऊपर भाग Heaven तथा निचली भाग Earth कहलाता है । अबाकस में तार की सहायता से गोलियां लगी होती है । heaven के की एक गोली का मान 5 तथा earth एक गोली का मान 1 होता है । गोलियों को ऊपर नीचे खिसका कर गणना की जाती है ।
(2) जान नेपीयर की छड़ें (John Napier's Rods)-:
सन 1614 में जॉन नेपियर ने गणना करने के लिए छडो का प्रयोग किया जिनके द्वारा संख्याओं का गुणा सरलता से किया जा सकता था । जॉन नेपियर की छडे हड्डी से निर्मित थी । इनकी संख्या 11 थी इन छडो पर संख्याओं को लिखा जाता था तथा छड़ो को इस क्रम में रखा जाता था कि संख्याओं का गुणा सरलता से किया जा सके।
(3) ब्लेस पास्कल की मशीन(Blaise Pascal's Machine)-:
सन 1642 में फ्रांस के एक वैज्ञानिक ब्लेस पास्कल ने सबसे पहले संख्याओं को जोड़ने के लिए एक हाथ से चलने वाला यंत्र का आविष्कार किया । ब्लेस पास्कल की मशीन द्वारा खटाना की किया जा सकता था ब्लेस पास्कल की मशीन में गियर पहिए व डायल लगे थे प्रत्येक पहिया 10 छोटे भागो मैं बैठा था। जब एक पहिया 10 भाग पूरे घूम लेता था तब दूसरा पहिए का भाग घूमता था । जब दूसरा पहिया 10 भाग पूरे चक्कर कर लेता था तब तीसरे पहिए का भाग चक्कर करता था इसी आधार पर गणना की जाती थी ब्लेस पास्कल की मशीन अत्यंत उपयोगी थी ।
1671 में जर्मन गणितज्ञ Gottfried von Leibnitz ने ब्लेस पास्कल की मशीन को इस प्रकार से डिजाइन किया था कि उस मशीन द्वारा गुणा भाग तथा संख्याओं का वर्गमूल भी ज्ञात किया जा सकता था । इस मशीन में 9 दांत वाला गोलाकार ड्रम था। इन दांतो की लंबाई या अलग थी। उस मशीन में गियर लगे थे जो कि दांतों में फंसकर गणना करने में सहायक है।
(4) जैकार्ड लूम(Jacquard's Loom)-:
सन 1801 ईस्वी में फ्रांसीसी वैज्ञानिक जैकार्ड ने बुनकरों के लिए एक ऐसे यंत्र की खोज की जिनसे उनके कार्यों को बहुत सरल बना दिया । बुनकरों द्वारा कपड़ा बुनने के लिए सैकड़ों धागों का प्रयोग किया जाता था। जिनको डिजाइन के अनुसार संभालना एक कठिन कार्य होता था। इस कार्य को जोफेस जैकार्ड ने पंच कार्ड के द्वारा सरल की बनाया । कुछ बुनकरों द्वारा आज भी जैकार्ड के अनुसार पंच कार्ड का प्रयोग किया जाता है। एक डिजाइन के लिए हजारों संख्याओं में कार्ड्स बनाने पड़ते हैं।
(5) चार्ल्स बैबेज की मशीन(Charles Babbage's Machine)-:
सन 1823 ईस्वी में इंग्लैंड के वैज्ञानिक सर चार्ल्स बैबेज ने एक मशीन का आविष्कार किया जिसे डिफरेंस इंजन का नाम दिया गया जिसके द्वारा गणनाए सरलता से की जा सकती थी। चार्ल्स बैबेज ने अपनी मशीन में पंच कार्ड का प्रयोग किया था तथा डाटा को सुरक्षित रखने का आविष्कार किया था जो कि आज के कंप्यूटर में भी प्रयोग में लाया जा रहा है चार्ल्स बैबेज को कंप्यूटर का जनक कहा जाता है परंतु यह मशीन सफलतापूर्वक नहीं चलाई जा सकी इसके बाद चार्ल्स बैबेज ने एनालिटिकल इंजन का आविष्कार किया । एनालिटिकल इंजन में करीब 50,000 लगे थे जो कि एक गियर की मदद से घूम सकते थे । इस मशीन में संख्याओं का गुणा भाग जोड़ घटाना आसानी से किया जा सकता था । संख्याओं की गणना पहले से सुरक्षित प्रोग्राम द्वारा की जा सकती थी प्रोग्राम पंच कार्ड द्वारा सुरक्षित किया जा सकता था । इस प्रकार से एनालिटिकल इंजन के चार प्रमुख भाग थे जिनके नाम निम्न है ।
(क) इनपुट (ख) आउटपुट (ग) अर्थमैटिक यूनिट (घ) मेमोरी
(6) .लेडी एडा लावेलस(Lady Ada Lovelace)-:
एडा अंग्रेजी के प्रसिद्ध कवि कार्ड बैरान की पुत्री थी । एडा एक प्रख्यात गणितज्ञ थी। चार्ल्स बैबेज की मशीन के लिए लेडी एडा लावेलस ने एक संख्या प्रणाली की खोज की जिसे बाइनरी संख्या प्रणाली कहते हैं जिसका प्रयोग आज भी कंप्यूटर में किया जाता है लेडी एडा लावेलस के नाम से कंप्यूटर भाषा 'ADA' का नाम रखा गया । लेडी एडा लावेलस दुनिया का प्रथम कंप्यूटर प्रोग्रामर के नाम से भी जाना जाता है ।
(7) पंच कार्ड(Punch Card)-:
1880 इसवी में अमेरिका ने डाटा को सुरक्षित रखने तथा उन्हें कोड नंबर देने का आविष्कार किया जिसके प्रयोग के बाद पूरा रिकॉर्ड ना लिखकर केवल कोड से ही कार्य किया जा सकता था। कोडिंग आज भी प्रचलित है। सन 1880 में अमेरिका के हरमन होलीरिथ ने जनसंख्या गणना करने के लिए पंच कार्ड की खोज की थी जिसके द्वारा सालों साल चलने वाला कार्य कुछ ही हफ्तों में पूरा किया जा सकता था। कार्ड्स पर छेद किया जाता था जो कि विभिन्न संख्याओं और अक्षरों को दर्शाता था इन कार्ड्स को एक ऐसी मशीन से गुजारा जाता था जिसमें छाडे लगे होती थी । कार्ड्स में छेद मिलने पर छड़ उस छेद के पार हो जाती थी अन्यथा नहीं आगे चलकर हरमन होलोरिथ की कंपनी IBM कंपनी के साथ मिलकर कार्य करने लगी.।
(8) पावर कार्ड(Power Card)-:
1908 ईस्वी में जेम्स पावर ने हरमन खोलोरिथ की पंच कार्ड मशीन को नया कलेवर दिया । इस मशीन द्वारा कार्ड पर छेद करने की कीज द्वारा छेद तब तक नहीं होता था जब तक रिलीज की किसको नहीं दबाया जाता था। इस प्रकार गलती होने की संभावना कम थी सन 1910 ईस्वी में James Power ने Sorting तथा Tabular मशीन का आविष्कार किया ।
पंच कार्ड मशीन का दीर्घ अवधि तक प्रयोग किया गया पंच कार्ड का प्रयोग विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर में भी किया जाता था पंच कार्ड एक मुख्य इनपुट डिवाइस था।
(9) मार्क-1(Mark-1)-:
1930 ईसवी में हावर्ड और ग्रोस हापर ने गुणा करने वाला यंत्र का आविष्कार किया। यह एक इलेक्ट्रॉनिक यंत्र था जिसके द्वारा 23 अंकों तक की गणना सरलता से की जा सकती थी ।
कोड मार्क-1 के नाम से जाना जाता है। इसे कंप्यूटर भी कहा जाता है क्योंकि इसमें प्रयोग किए गए निर्देश( जोगी पंच कार्ड के द्वारा दिए जाते थे) बदले भी जा सकते थे। मार्क-1 एक बहुत बड़ी मशीन थी। इस मशीन की लंबाई 50 फीट तथा चौड़ाई 50 फीट थी जो कि बहुत बड़े कमरे में आ सकती थी । इसके तारों की लंबाई करीब 500 मील थी। इसमें हजारों की संख्या में रिले लगे थे जो कि विद्युत के प्रवाह को नियंत्रित कर सकते थे । इस यंत्र द्वारा + * - / सरलता से किया जा सकता था दो संख्याओं का जोड़ करीब 3 सेकंड में किया जा सकता था तथा दो संख्याओं का गुणा करीब 4 सेकंड में किया जा सकता था। मार्क-1 की गति आज की कंप्यूटर तुलना में बहुत कम थी ।
(10) इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर(Electronic Computer)-:
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कोनर्ड जूस ने Z1,Z2,Z3 तथा Z4 नामक मशीनों की खोज की । इन्हें प्रथम डिजिटल कंप्यूटर कहा जा सकता है इस मशीनों में कीबोर्ड का प्रयोग किया जाता था Z4 मशीन करीब 64 अंक को सुरक्षित रख सकती थी . इसे दुनिया का पहला कंप्यूटर कहा जाता है। जर्मन वैज्ञानिक ने एक इनिगमा नामक यंत्र का आविष्कार किया था जिसका प्रयोग सांकेतिक को भेजने के लिए किया जाता था। इनिगमा के सांकेतिक संदेशों को पढ़ने के लिए ब्रिटिश इंजीनियर ऐलन ने सन 1943-1957 मै कोलोसस नामक यंत्र की खोज की ।
(11)इनियाक(ENIAC)-:
इनियाक का पूरा नाम इलेक्ट्रॉनिक न्यूमेरिकल इंटीग्रेटर एंड केलकुलेटर (Electronical Numerical Integrator and Calculator)है। इनियाक प्रथम इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर है । इसकी खोज ईकॉर्ड और मामले ने 1946 इसवी में की थी। इनियाक भी बड़े आकार का कंप्यूटर था। इसकी लंबाई 100 फीट का वजन 80 टन था। इसमें 70000 रजिस्टेंस तथा 18000 वैक्यूम वाल्व लगे थे । इनियाक थोड़ी देर के लिए ही चलाया जा सका था क्योंकि इसके चलाने से उसमें अधिक उत्पन्न होती थी जिससे यह जल्दी गर्म हो जाता था इन याद द्वारा दो संख्याओं का जोड़ 200 माइक्रोसेकेंड्स में किया जा सकता था इसकी गति मार्क -1 की अपेक्षा कहीं ज्यादा थी । मार्क-1 के ठीक 2 वर्ष के बाद इनियाक की खोज हुई मार्क-1 द्वारा जो गणना 1 सप्ताह में पूरी हो जाती थी वह गणना इनियाक द्वारा एक दिन में की जा सकती थी इनियाक के द्वारा दो संख्याओं का जोड़ दो सौ माइक्रोसेकंड में किया जा सकता था ।
(12) वान न्यूमेन(Von Neumann)-:
हंगरी के गणितज्ञ कौन वान न्यूमेन सन 1946 ईस्वी में कंप्यूटर में प्रोग्राम को सुरक्षित रखने का मत प्रकट किया उनका कहना था कि प्रोग्राम को एक स्थान पर सुरक्षित किया जाना चाहिए जिससे कंप्यूटर स्वतः एक के बाद एक निर्देशों का पालन कर सके तथा प्रोग्राम में परिवर्तन भी किया जा सके जैसे कि डाटा में किया जाता है। Edvac ऐसी पहली मशीन की जिसने इसका प्रयोग किया गया था ।
(13) एडवेक(EDVAC)-:
एडवेक का पूरा नाम इलेक्ट्रॉनिक डिस्क्रीट वेरिएबल ऑटोमेटिक(Electronic Discrete Variable Automatic Computer) कंप्यूटर है। इसका आविष्कार सन 1946 ईस्वी में (John Von Neumann) ने किया था इस कंप्यूटर में आंकड़ों को सुरक्षित रखा जा सकता था एडवेक में बाइनरी संख्या प्रणाली का प्रयोग किया जाता था।
(14) मैनचेस्टर मार्क-1(Manchester Mark-1)-:
मैनचेस्टर मार्क-1 का आविष्कार सन 1948 में हुआ था। इस मशीन में आंकड़ों को सुरक्षित रखा जाता था। मैकाले तथा वान न्यूमेन ने संयुक्त रूप से इस मशीन का आविष्कार किया था इसकी संग्रह क्षमता केवल 32 वर्ड की थी तथा प्रत्येक वर्ड 32 डिजिट का था इस प्रकार से इसकी संग्रहण क्षमता बहुत कम थी जिस कारण इसका प्रयोग नहीं हो सका
(15) ऐडसेक(EDSAC)-:
ऐडसेक का आविष्कार ब्रिटेन में सन 1949 ईस्वी में किया गया था एड्स का पूरा नाम इलेक्ट्रॉनिक डीलर स्टोरेज ऑटोमेटिक कैलकुलेशन (Electronic Delay Storage Automatic Calculator) इस मशीन द्वारा दो संख्याओं का जोड़ 15 100 माइक्रो सेकंड में किया जा सकता था तथा दो संख्याओं का गुणा 4000 माइक्रो सेकंड में किया जा सकता था इस मशीन में अपना पहला प्रोग्राम मई 1949 में संपन्न किया था इस मशीन का आविष्कार कई वैज्ञानिकों ने मिलकर किया था ।
(16) यूनीवैक(UNIVAC)-:
सन 1951 ईस्वी में अमेरिका मैं यूनीवैक का आविष्कार हुआ था यूनीवैक का पूरा नाम द यूनिवर्सल ऑटोमेटिक कंप्यूटर है (The Universal Automatic Computer) इसे प्रथम डिजिटल कंप्यूटर भी कहा जाता है प्रथम बार IBM कंपनी द्वारा यूनीवैक कंप्यूटर का व्यापारिक उत्पादन किया गया पहली यूनीवैक मशीन का प्रोग्राम अमेरिका में जनसंख्या गणना के लिए किया जाता था । 10 वर्ष तक इसे निरंतर प्रयोग में लाया गया IBM का प्रथम व्यापारिक प्रयोग जनरल इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन द्वारा सन 1944 में किया गया था IBM द्वारा पहली बार यूनिटेक कंप्यूटर का व्यापारिक स्तर पर उत्पादन किया गया था जिसका प्रयोग व्यापारिक एवं वैज्ञानिक दोनों क्षेत्रों में किया जाता था।
सन 1952 ईस्वी में IBM company ने 701 यूनीवैक कंप्यूटरों का उत्पादन किया था तथा 1953 ईस्वी में IBM 650 नाम से 1000 कंप्यूटर का उत्पादन किया गया था IBM आज दुनिया की सबसे बड़ी कंप्यूटर निर्माता कंपनी है
End.....
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